क्षणिकाएं – २६

क्षणिकाएं – २६

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चाहतों में कौन हिसाब किताब रखता है
दिल जब याद करता है, बेहिसाब धड़कता है।।

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दिलों के सिलसिले भी अजीब होते है
जो दूर रहते हैं बेहद करीब होते हैं।।

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मैं बढ़ता चला हूं वक्त की आंधियों में
रोके रुकुंगा गम की आजमाइशों में
मुझे बस लगन है मंजिल की ऐसे
जिंदा रहने को सांस लगती हो जैसे।।

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मंजिलों की चिंता करूंगा तो
रास्तों से दोस्ती कौन निभाएगा
रहेगी हमसफर डगर मेरी
यूंही सफरे जिंदगी गुजर जाएगा।।



आभार  – नवीन पहल – २.११.२०२२ 🙏👍🌹❤️


# नॉन स्टॉप २०२२ - भाग २७ 


 

 

 

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2 Comments

Haaya meer

26-Nov-2022 07:18 PM

Superb

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Gunjan Kamal

25-Nov-2022 11:11 AM

👏👌🙏🏻

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